Thursday, 8 August 2013

कोई क्यूँ इकरार किये जाता है 
हर वक़्त दिल पे वार किये जाता है 
समझता है हसींन है तो हमारी है 
क्यूँ हुस्न पे ऐतबार किये जाता है 

असमंजस सी छायी है दिल पे 
बेचैनी भी बढ़ा जाता है 
छुप जाऊं कही ऐसी जगह 
जिंदगी हैरान किये जाता है 

सब-कुछ तो है अपनी जगह पर 
पर दिल ऐतराम किये जता है 
फेंक दूँ इस खूबसूरती को 
दिल बार-बार पैगाम दिए जाता है 

क्यूँ हूँ मैं  इस दुनिया में 
मन बोझिल हुआ जाता है 
बैठा है हर शाख पे उल्लू 
सांस भी खामोश हुआ जाता है 
------------------कमला सिंह जीनत 

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