कोई क्यूँ इकरार किये जाता है
हर वक़्त दिल पे वार किये जाता है
समझता है हसींन है तो हमारी है
क्यूँ हुस्न पे ऐतबार किये जाता है
असमंजस सी छायी है दिल पे
बेचैनी भी बढ़ा जाता है
छुप जाऊं कही ऐसी जगह
जिंदगी हैरान किये जाता है
सब-कुछ तो है अपनी जगह पर
पर दिल ऐतराम किये जता है
फेंक दूँ इस खूबसूरती को
दिल बार-बार पैगाम दिए जाता है
क्यूँ हूँ मैं इस दुनिया में
मन बोझिल हुआ जाता है
बैठा है हर शाख पे उल्लू
सांस भी खामोश हुआ जाता है
------------------कमला सिंह जीनत
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