Saturday, 8 February 2014



दिल से गर बात निकलती तो ग़ज़ल कह जाती 
मैं अगर फिर से बहलती तो ग़ज़ल कह जाती 
इस तरह तेरे तरन्नुम ने समां बांधा था 
रुक के कुछ देर संभलती तो ग़ज़ल कह जाती 
---कमला सिंह 'ज़ीनत'

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