Sunday, 4 August 2013

खुद के जीने के लिए खुद को ही माँरती हूँ मैं 
चाहती हूँ जीना फिर भी खुदी से हारती हूँ मैं 
मिट्टी की बनी इस दुनिया में सोचती हूँ अक्सर 
क्या रखा इस संसार में जिससे भागती हूँ मैं 
--------------------------------------कमला सिंह जीनत  

khud ke jine ke liye khud ko marti hun main 
chahti hun jina phir bhi khudi se harti hun main 
mitti ki bani is duniya me sochti hun aksar 
kya rakha hai is sansaar me jisse bhagti hun main 
-------------------------------------kamla singh zeenat 

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