Thursday, 15 August 2013

दिल्ली जलमग्न हुई जाती है 
खुद में इक नज़्म हुई जाती है 
हरा-भरा उपवन सा लगता हैं 
मौसम रंगीन हुई जाती है 
-------------कमला सिंह ज़ीनत 
dilli jalmagn hui jati hai 
khud me ik nazm hui jati hai 
haraa-bhra upwan sa lagta hai 
mausam rangeen hui jati hai 
------------------kamla singh zeenat 

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