ग़ैरों में और तुममें
क्या फर्क है बोलो
कुछ भी नहीं,
कुछ भी तो नहीं
वो रुसवा कर गया
सरे बाज़ार …
और तुम
तुमने हुस्न को इश्क़ की दुलहन बना
तलाक़ दे दिया
क्या फ़र्क़ है ?
दोष किसका ?
मेरा या फिर मुक़द्दर का ?
बोलो ना किसका ....
--- कमला सिंह 'ज़ीनत'
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