दिल के जज़्बात
Tuesday, 23 June 2015
एक शेर हाजिर करती हूँ दोस्तों
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मुजस्समा तो बना सकता है कोई कुम्हार
जो जान डाल दे पुतले में वो निगाह कहाँ
कमला सिंह 'ज़ीनत'
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