Saturday, 20 June 2015

वो शाम
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याद है तुम्हें ? वो शाम
मेरा दिल जब बैठा जा रहा था
मैं काफी घबरा सी गई थी जब
पूरा बदन कांप रहा था जिस दम मेरा
और मैं बहुत डर गई थी
मेरा जी भी मतला रहा था
चक्कर भी आ रहा था
तुमने अपना हाथ मेरे हाथों में फंसाया
मेरा ढांढस बंधाया
दवाएँ मंगवाई
मुझे बडे प्यार से खिलाया
और उस वक्त़ तक तुम
ऊंगलियां फंसाए
लान में मेरे साथ टहलते रहे
जब तक कि मैंने
कुछ बेहतर महसूस न किया
आज भी सोचती हूँ
वो शाम
बहुत प्यारे से लगने लगते हो तुम
बताओ न मुझे
याद है तुम्हें ? वो शाम
----कमला सिंह 'ज़ीनत'
20/06/15

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