एक मतला एक शेर
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जब मेरी यादों का जलता हुआ सहरा होगा
थकन से बैठ कर किस हाल में तडपा होगा
थकन से बैठ कर किस हाल में तडपा होगा
गुज़रती यादों की तासीर से यकीनन वो
सुलगती आंखों से बे-साख्ता बरसा होगा
सुलगती आंखों से बे-साख्ता बरसा होगा
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