तुम्हारी यादों की कश्ती
लगी रहती है
दिल के टापू पर
धडकनों की हलचल से डगमगाती
तुम्हारी इस कश्ती की डोर थामे
पडी रहती हूँ मैं
आसरे की लहरों से
तुम्हारे होने की खुशबू
आंचल के गोटे से टकराती है
मझपे हाँ मुझपे
एक ज़माना गुज़र जाता है
जब - जब तू याद आता है
जब - जब तू याद आता है
लगी रहती है
दिल के टापू पर
धडकनों की हलचल से डगमगाती
तुम्हारी इस कश्ती की डोर थामे
पडी रहती हूँ मैं
आसरे की लहरों से
तुम्हारे होने की खुशबू
आंचल के गोटे से टकराती है
मझपे हाँ मुझपे
एक ज़माना गुज़र जाता है
जब - जब तू याद आता है
जब - जब तू याद आता है
कमला सिंह 'ज़ीनत'
No comments:
Post a Comment