एक ग़ज़ल आपके हवाले *
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काश तुम पर जो मरते नहीं
तिनका-तिनका बिखरते नहीं
आँधियाँ बोल कर आई थीं
तुम जो होते उजड़ते नहीं
चाँद तुम मेरे होते अगर
आसमाँ से उतरते नहीं
तुम जो रुसवा ना करते मुझे
हम ज़माने से डरते नहीं
तेरा साया जो होता तो हम
इस चमन में सिहरते नहीं
बज़्म में आज 'ज़ीनत' ग़ज़ल
पढ़ के हम भी सँवरते नहीं
----कमला सिंह 'ज़ीनत'
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