उसने कहा इंतज़ार करो
मैंने कहा आदत मेरी।
उसने कहा भुला ना करो
मैंने कहा चाहत हो मेरी।
उसने कहा पास आओ मेरे
मैंने कहा हसरत मेरी।
उसने कहा तुम रूह हो मेरी
मैंने कहा वजूद हूँ तेरी।
उसने कहा जिंदगी हो मेरी
मैंने कहा धडकनें हूँ तेरी।
उसने कहा पास जिंदगी में आऊ कभी
मैंने कहा मंजिल हो मेरी।
मैंने कहा हुआ बहुत सवाल अब आजो
छुड़ाकर हाथ मेरा कहा उसने भूल जाओ
--------------------कमला सिंह
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-06-2013) के चर्चा मंच -1285 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteबहुत खूब कमला जी
ReplyDeletebahut bahut SHUKRIY Sarita ji aabhar dil se .
ReplyDeleteshukriya ONKAR JI
ReplyDeleteउफ....बहुत ही बढ़िया गजल
ReplyDeleteवाह . बहुत उम्दा,सुन्दर
ReplyDeleteशुक्रिया रश्मि शर्मा जी
ReplyDeleteSHUKRIYA mADAN MOHAN JI
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