निकले तेरी गलियों से जनाजा मेरा बारात की तरह,
तू भी डाल दे कफ़न मुझ पर खैरात की तरह,
ना चाह मुझको कोई बात नहीं,आना पर मय्यत में मेरी,
सकूँ दे जो 'रूह को रिमझिम बरसात की फुहार तरह।
------------------------------ ----------------कमला सिंह
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