Saturday, 15 June 2013

तूफ़ान ए इश्क

आज ज़ज्बातों का तूफ़ान सा उठा है (कमल)
चल रहे है खंजर,चलना संभल संभल,
आजमाईश है तेरी जिंदगानी-ए -किताब की
फैसला है तकदीर का और तू भी है अटल 

इम्तिहाने इश्क का है फैसला,गुजर रहा भारी हर पल 
मुमकिन नहीं है लौटना फितरत भी ना तू बदल, 
मुकम्मल होता नहीं आज जहान में कोई इश्क के   
फिर क्यों है तेरे दिल में ये खामोश सी हलचल।।
.......................................कमला सिंह (कमल )
  

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