अर्थियां सजती हैं नित नए ,प्यार से सजे हर ख्वाबों का,
फूलों से लदे अरमानों का,आरज़ू का, दिल के फसानों का ,,
कान्धा भी देते है रूहों को ,उनके बिखरते ज़ज्बातों को,
सिसकते आहों को ,मिटते राहों को।
फिर होता है तमाम आखिर" एक किस्सा "एक ज़माने का
बीते फ़साने का ,दर्द में डूबे मयखाने का ,उजड़े आशियाने का
सोचो कुछ कर गुजरने से पहले जिंदगी के मायने का
फिर जो चाहो करो आबाद या बर्बाद अपने जिंदगानी का।
....................................................कमला सिंह .
बहुत खूब ......!!
ReplyDelete