Saturday, 16 August 2014

कोई याद न आये
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आज घर में मेरे बहुत सारे लोग जमे हैं
सभी के बीच मैं
व्यस्त ,व्यस्त ,व्यस्त
आज कुछ भी याद नहीं
कुछ भी नहीं
जी हलकान था
लेकिन अब
हलका लग रहा है
मेरी यादाश्त खो चुकी है
अब चाहती हूँ मैं
भीड़ ,भीड़ ,भीड़
और बीच में मैं
और मेरी यादाश्त खो जाये
कोई याद न आये ।
कमला सिंह 'ज़ीनत'

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