Tuesday, 19 August 2014

मेरी प्रतिनिधि रचना और चर्चित ग़ज़ल जो बहुत पसंद की गयी, हाज़िर है दोस्तों 
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आईना   वो  है और सूरत मैं हूँ 
उसकी   दिन रात  ज़रूरत मैं हूँ 

दिल तो उसका है एक मंदिर सा 
उस दिले ख़ाना  की मूरत  मैं हूँ 

उसमे बसती हूँ मैं खुश्बू की तरह 
उसके  हर हाल की फितरत मैं हूँ 

सारे  अरमान उसके  पुरे किये 
खुद ही  इस बात पे  हैरत मैं हूँ 

नाम  उसका जुड़ा है  मेरे साथ 
इश्क़े  मशूहर की शोहरत  मैं हूँ 

वो  तलबगार  है  'ज़ीनत'  तेरा 
ख़्वाहिशें दिल है वो,हसरत मैं हूँ 
---कमला सिंह 'ज़ीनत'

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