गुनगुनी धुप में खिलते किरण सा चेहरा उसका ज़ीनत
मेरी ज़िंदगी को इक नयी सुब्ह का अहसास कराता है
------------कमला सिंह ज़ीनत
उसकी याद की राख को पोटली में सहेज रखा था ज़ीनत ने
दबे चिंगारियों को सुलगा दिया हवाओं ने फिर से
-------------------कमला सिंह ज़ीनत
uski yaad ki rakh ko potli me sahej rakha tha zeenat ne
dabe chingaariyon ko sulgaa diya hawaon ne phir se
--------------------kamla singh zeenat
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