पिघल ही जाओ ऐ ज़ीनत कि उसकी लाज बचे
जुनूँ में आके तुझे मोम कह दिया उसने
जुनूँ में आके तुझे मोम कह दिया उसने
बग़ैर पूछे मुझे लिख लिया है उसने अगर
उसी का हिस्सा हूँ लिख दो क़रारनामे में
उसी का हिस्सा हूँ लिख दो क़रारनामे में
दुआ ये है उसे जुगनू बना के ऐ मालिक
तमाम सुब्ह के बदले में रात दे मुझको
तमाम सुब्ह के बदले में रात दे मुझको
उसी से पूछिए रखता कहां कहां है मुझे
वही है डाकिया मेरा पता बतायेगा
वही है डाकिया मेरा पता बतायेगा
कमला सिंह ज़ीनत
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