दिल के जज़्बात
Saturday, 22 August 2015
एक शेर
कुछ बचे हैं वो अपने ग़म दे दे
मैंने कब मांगा था मरहम दे दे
कमला सिंह 'ज़ीनत'
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment