Saturday, 1 August 2015

4 - मिसरे
झूट की ये रौनक़ है झूट के ही चर्चे हैं
गौ़र से ज़रा पढि़ये बेबसी के पर्चे हैं
दिख रहा है जो साहब सिर्फ़ पर्देदारी है
दर्द के मुखौटे पर बस खुशी के पर्दे हैं
कमला सिंह 'ज़ीनत'

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