दिल के जज़्बात
Thursday, 7 November 2013
चलूँ अब इस महफ़िल से वक़्त
हो गया
पाने-खोने का दौर भी ख़त्म हो गया
मिलना था जो नसीब में ज़ीनत को
मिल गया ज़िंदगी में बाकि ज़ब्त हो गया
-----------------कमला सिंह ज़ीनत
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