दिल के जज़्बात
Saturday, 16 November 2013
ठिठुरी हुई सी बाहें है
सहमी हुई सी आहें हैं
कंपकपाती ठंड में ज़ीनत
मरघट सी फैली राहें हैं
--------कमला सिंह ज़ीनत
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