तू जानता क्यूँ नहीं ,तू मानता क्यूँ नहीं
परछाई है ज़ीनत तेरी महसूसता क्यूँ नहीं
------------------------कमला सिंह ज़ीनत
इश्क़ तू बेहिसाब करता है जान भी बेहिसाब देता है
है क्या कमी की तू इश्क़ इश्क़ करता है
---------------------कमला सिंह ज़ीनत
बांवला भी है और थोड़ा पागल भी शायद वो ज़ीनत
ज़िद में भूल जाता है रिश्ते कि तल्ख़ियाँ भी
------------------------कमला सिंह ज़ीनत
ज़िंदगी हिस्ट्री ही नहीं मिस्ट्री भी है उसकी अजी ज़ीनत
नजदीकियाँ बढ़ते ही गहराईयों में उतर जाती है ज़िंदगी
-----------------------कमला सिंह ज़ीनत
सुंदर भावपूर्ण, बेहतरीन !!
ReplyDelete!! प्रकाश का विस्तार हृदय आँगन छा गया !!
!! उत्साह उल्लास का पर्व देखो आ गया !!
दीपोत्सव की शुभकामनायें !!