इश्क़ का रंग है ऐसा खुद में समेट लेती है ज़िंदगी को
या खुद में रंगती है ज़ीनत या खुद ही मिटा देती है खुद को
-----------------------------कमला सिंह ज़ीनत
दर्द के बोझ को साथ लिए फिरती हूँ इश्क़ में कांधे पर
गूंगा है शायद इश्क़ भी बेमौत सजा देता है ज़ीनत वो
-----------------------------कमला सिंह ज़ीनत
dard ke bojh ko sath liye firti hun ishq mein kaandhe par
gungaa hai shayad ishq bhi bemaut saja deta hai zeenat wo
-------------------------------------------kamla singh zeenat
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