Friday, 15 November 2013

इश्क़ का रंग है ऐसा खुद में समेट लेती है  ज़िंदगी को 
या खुद में रंगती है ज़ीनत या खुद ही मिटा देती है खुद को 
-----------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

दर्द के बोझ को साथ लिए फिरती हूँ इश्क़ में कांधे पर 
गूंगा है शायद इश्क़ भी बेमौत सजा देता है ज़ीनत वो 
-----------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

dard ke bojh ko sath liye firti hun ishq mein kaandhe par 
gungaa hai shayad ishq bhi bemaut saja deta hai zeenat wo 
-------------------------------------------kamla singh zeenat 

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