Sunday, 5 May 2013

अर्फ़्सुदा प्यार

जज़्बात से तुम ना खेलते अगर
तेरे प्यार में मजबूर न होती इस कदर
जिंदगी की चाहत से मरहूम कर दिया तूने,
खो गयी जिंदगी हसरत में इस कदर।


तरन्नुम गूंजते है आज भी विरानो में,
अर्फ़्सुदा हूँ आज भी तेरे ख़्यालों में
जाने क्या होगा अंजाम मेरा 
जिंदगी डूब गयी प्यार के मैखाने में।। 

हसरतो से खेलना फितरत है तेरी
उम्मीदों को जगा कर तोड़ना आदत है तेरी
जिंदगी में शामिल करके निकालना भी 
दिल की ख्वाहिश है तेरी ...

बर्बाद कर लिया मैंने खुद को इंतजार में 
तू इतना है;'ज़ालिम और हरजाई',
तुझे जरा भी शर्म न आई,
मिट गयी मैं तेरे लिए,
 पर तुझे याद न आई।।।।।
.............कमला सिंह.....  

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