Saturday, 25 May 2013

मैंने आज जिंदगी को फटेहाल देखा,
तरसती जान को हाल से बेहाल देखा ,
शर्म आई मुझे भी अपने इंसान होने पे,
क्या कहु जिंदगी खुद को खुद से शर्मसार देखा।

-------कमला सिंह ----

No comments:

Post a Comment