तेरे दीदार के लिए हम भटके दर-बदर
तू मेरी जिंदगी से खो गया इस कदर,
तू मेरी जिंदगी से खो गया इस कदर,
चलते चले गए,कश्मीर की वादियों तक
पर तू ना नज़र आया बेखबर।।
तेरी आरजू में धुंधला सी गयी है नज़रे मेरी
काश तुझे भी मिलने की जुस्तज़ू हो अगर,
आ जाना कभी मेरी इस वीरान हवेली में
जहाँ बसा करते थे तुम शामो-सहर।।।
..........कमला सिंह ........
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