आज लोगों ने मसरूफ रखा अपनी यादों में
कभी तनहा हुआ करते थे हम खुद की बातों में
आज समां है महफ़िलों का चारों तरफ घेरे मुझको
दिल फिर भी ढूंढता जिंदगी की बिछड़ी रातों में उनको।
क्या शमा था, क्या मंज़र था उन यादों का मेरे
भटका करती थी कभी प्यार के साये में तेरे
यादें प्यारी थी मुझे,अपने दिल सेकुछ इतनी
गवारा ना था बिछड़ना जिंदगी को साँसों से जितनी।
चलकर आ गए हम महफिलों के दौर में अब तो
परन्तु याद आज भी आता है अतीत मुझको मेरा
सब कुछ तो है जिंदगी में एक उन प्यारे यादो के सिवा
शामों सहर याद आता है भीड़ में भी मेरे दिल के
ज़ज्बातो के और चाहत के सिवा ..... .
---------कमला सिंह -------
सब कुछ तो है जिंदगी में एक उन प्यारे यादो के सिवा
ReplyDeleteशामों सहर याद आता है भीड़ में भी मेरे दिल के
ज़ज्बातो के और चाहत के सिवा .....
waah ! bahoot achchhi abhivyakti hai... badhai
- pankaj trivedi
बहुत बहुत शुक्रिया पंकज जी
ReplyDeleteचलकर आ गए हम महफिलों के दौर में अब तो
ReplyDeleteपरन्तु याद आज भी आता है अतीत मुझको मेरा
सब कुछ तो है जिंदगी में एक उन प्यारे यादो के सिवा
शामों सहर याद आता है भीड़ में भी मेरे दिल के
ज़ज्बातो के और चाहत के सिवा ..... .
वाह क्या लिखा है !!