दिल के जज़्बात
Sunday, 26 May 2013
भूखे पेट को गरीबी खाती है
गरीबी को मज़बूरी खाती है
मज़बूरी को ज़मीर खाता है
और ज़मीर को बेईमान खाते हैं।
-------कमला सिंह -------
1 comment:
मेरा अव्यक्त --राम किशोर उपाध्याय
3 June 2013 at 02:14
कटु यथार्थ ,
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कटु यथार्थ ,
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