दिल के जज़्बात
Saturday, 30 May 2015
परवाज़ पे हूँ ऐ दिल मंजिल से न भटकाना
भटके जो मुसाफिर हैं घर लौट नहीं पाते
कमला सिंह 'ज़ीनत'
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