दिल के जज़्बात
Tuesday, 19 May 2015
फिर तेरी बात चली आई है
तुझमें कितनी अभी गहराई है
तेरे आने की धमक है शायद
फिर से काकुल मेरी लहराई है
डा.कमला सिंह 'ज़ीनत'
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