ये इश्क़ इश्क़ है,इश्क़ इश्क़
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इश्क़ जो होए यार से जनम जनम तर जाए
इश्क़ की खुशबू में बसी दुल्हनिया घर जाए
इश्क़ उडाए होश जो छाप तिलक झड़ जाए
इश्क़ में डूबी बावली क्या-क्या न कर जाए
इश्क़ की खुशबू में बसी दुल्हनिया घर जाए
इश्क़ उडाए होश जो छाप तिलक झड़ जाए
इश्क़ में डूबी बावली क्या-क्या न कर जाए
डा.कमला सिंह "ज़ीनत"
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