Sunday 6 December 2015

मेरी एक ग़ज़ल पेश है 
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प्यार करना बहुत आसान नहीं होता है 
हर कोई दिल से सुलतान  नहीं  होता है 

मैंने माना के ज़माने में हैं अच्छे दिल भी 
सबकी  फ़ितरत  में शैतान नहीं होता  है  

बेवफ़ा  कौन  बनेगा यूँ  ही  चलते चलते 
भीड़  में  ये भी  तो  पहचान नहीं होता है 

शायरी यूँ  तो सभी  लोग किया  करते  हैं 
हर  कोई  साहिबे  दीवान  नहीं  होता   है

हम तो हिम्मत से सफ़र करते हैं शहरों-शहरों 
दूर   तक  रास्ता  सुनसान  नहीं   होता  है  

आज के दौर  में 'ज़ीनत' नहीं सबके बस में 
इश्क़   पर  हर  कोई  कुर्बान नहीं  होता  है 
----कमला सिंह 'ज़ीनत'

3 comments:

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  2. बहोत खूब, जीनत साहिबा।

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