दिल के जज़्बात
Wednesday, 2 December 2015
आईना वही है अभी , शीशा भी वही है
इक अक्स सलामत है और चेहरा भी वही है
कमला सिंह 'ज़ीनत'
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment