बात करना जो ज़माने से तो तेवर रखना
तंग नज़रों से बचाकर के ये जे़वर रखना
तंग नज़रों से बचाकर के ये जे़वर रखना
अपने लहजे में शहद घोल कर रखना लेकिन
एक पहलू में छुपाए हुए ख़ंजर रखना
एक पहलू में छुपाए हुए ख़ंजर रखना
गर्चे कमज़र्फों की महफिल में ठिकाना हो कभी
बात करनी भी पडे़ उनसे भी तो बेहतर रखना
बात करनी भी पडे़ उनसे भी तो बेहतर रखना
No comments:
Post a Comment