मतला एक शेर हाज़िर है
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मुझे तराश कर हीरा बना दिया उसने
निगाह डाल कर मीरा बना दिया उसने
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मुझे तराश कर हीरा बना दिया उसने
निगाह डाल कर मीरा बना दिया उसने
नमक मिज़ाज़ थी होटों की चाशनी देकर
लुबाबे दहन से शीरा बना दिया उसने
लुबाबे दहन से शीरा बना दिया उसने
धड़कते दिल का धड़कना सुनाई दे जाए
बस इस ख़याल से चीरा बना दिया उसने
----कमला सिंह 'ज़ीनत'
बस इस ख़याल से चीरा बना दिया उसने
----कमला सिंह 'ज़ीनत'
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 31-12-2015 को चर्चा मंच पर अलविदा - 2015 { चर्चा - 2207 } में दिया जाएगा । नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं के साथ
ReplyDeleteधन्यवाद
बेहतरीन रचना और उम्दा प्रस्तुति....आपको सपरिवार नववर्ष की शुभकामनाएं...HAPPY NEW YEAR 2016...
ReplyDeletePLAEASE VISIT MY BLOG AND SUBSCRIBE MY YOUTUBE CHANNEL FOR MY NEW SONGS.
क्या बात है जीनत जी, मजा आ गया।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार, कल 14 जनवरी 2016 को में शामिल किया गया है।
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !