दिल के जज़्बात
Wednesday, 23 December 2015
मुहब्बत तेरी तो 'ज़ीनत' वो खुश्बू ज़ाफ़रानी है
कभी तू लौंग की खुश्बू, कभी गंगा का पानी है
---------कमला सिंह 'ज़ीनत'
3 comments:
डॉ. दिलबागसिंह विर्क
23 December 2015 at 06:06
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24-12-2015 को चर्चा मंच पर
चर्चा - 2200
में जाएगा
धन्यवाद
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Rohitas Ghorela
23 December 2015 at 17:01
वाह...वाह
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रश्मि शर्मा
24 December 2015 at 06:54
Waah
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आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24-12-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2200 में जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
वाह...वाह
ReplyDeleteWaah
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