विश्वराज
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विशाल पहाड़ी पर बैठे हुए विश्वराज
तुम्हारे नीचे तराई में
जो दिख रही है हरियाली
वो मृगमरीचिका है
सतर्क रहना
जंगली भैंसों का झुण्ड उस पार खड़ा है
क़ानून व्यवस्था की नदी में तुम्हारे
पहरेदार मगरमच्छों ,की संख्या
बहुत कम है
बाड़ लगाओ ,बाड़ लगाओ
नदी के मुहाने पर दूर तलक
बाड़ लगाओ
हरवारों को नियुक्त करो
जितनी जल्दी हो
भैसों का झुण्ड मुहाने पर खड़ा है
बेलगाम,जंगली भैसों के झुण्ड को
मोड़ने की ज़रूरत है
याद रहे
जिस दिन भैसों का झुण्ड बिदकेगा
नदी को पार करने की अफरा-तफरी में
तुम्हारे मगरमच्छी पहरेदारों का
थूथन कुचल जाएगा
भैसों का जीव सैलाब
भगधड़ मचाता हुआ
बेलगाम,तुम्हारे सुनहरे गाँव को
नुकक्ड़ ,चौपालों को
खेत खलिहानों को
रौंदता हुआ
दूर किसी और नदी के मुहाने तक
निकल जाएगा
बेलगाम भैसों को एक
मज़बूत हरवारे की ज़रूरत है
भैसों के जीव सैलाब को
नदी के मुहाने से
दूर रखना बहुत ज़रूरी है
अपने गाँव की सुरक्षा हेतु
अपनी रक्षा हेतु
बहुत ज़रूरी है
सुरक्षा …
वर्ना
टूट जाओगे ,बहुत पछताओगे
विश्वराज ………
..... कमला सिंह 'ज़ीनत'
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