चले आते हो वक्त़ बे वक्त़
बिन बुलाए
इंकार भी नहीँ है मुझे
तुम्हारे आने पर
हां तुम्हारे आने पर मैं
तमाम शिकायतें
यादों की खूंटी से
बारी बारी उतारकर
तुम्हारे सामने रख देती हूँ
और तुम
तमाम शिकायतों की सलवटों को
प्यार की थपकियों से सहलाकर
मखमली बना देते हो
छिड़क देते हो अपने प्यार की खुशबू
और फिर
करीने से टांग जाते हो
तमाम शिकायतों को वहीँ का वहीँ
और मैं
महकती रहती हूँ अंदर अंदर
बिन बुलाए
इंकार भी नहीँ है मुझे
तुम्हारे आने पर
हां तुम्हारे आने पर मैं
तमाम शिकायतें
यादों की खूंटी से
बारी बारी उतारकर
तुम्हारे सामने रख देती हूँ
और तुम
तमाम शिकायतों की सलवटों को
प्यार की थपकियों से सहलाकर
मखमली बना देते हो
छिड़क देते हो अपने प्यार की खुशबू
और फिर
करीने से टांग जाते हो
तमाम शिकायतों को वहीँ का वहीँ
और मैं
महकती रहती हूँ अंदर अंदर
-----------कमला सिंह ज़ीनत
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