एक अमृता और
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ऐ मेरी जि़न्दगी के होने की दलील
ऐ मेरी साँसों के जा़मिन
ऐ मेरी धड़कनों के साज़
ऐ मेरी रुहानी मक़बरे के मुजा़विर
ऐ मेरी पलकों की थिरकन
ऐ मेरी दुआओं के खु़दा
ऐ मेरी चुनरी के शीकन
ऐ मेरी बेपनाही के सुकून
ऐ मेरी सुर्मेदानी की तीली
ऐ मेरी सदाओं की वादी
ऐ मेरी रगों के उफा़न
ऐ मेरी मस्ती के झूले
ऐ मेरी चादर की खूशबू
ऐ मेरी स्याह रातों के दीपक
ऐ मेरी राहत के सामान
ऐ मेरी खु़शी के पासबान
ऐ मेरी ख़्वाहिशात के अतरदान
सुनो मेरी ज़बानी मेरी दास्तान
किस्सा बस यूँ है
मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ ।
कमला सिंह 'ज़ीनत'
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