बेबसी
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रेशम से सफ़ेद बाल उसके
दर्द और थकन से पिचके गाल
चेहरे पर लाखों तहरीरें थी
झुकी कमर और फटी शाल
सब कुछ है जिस्म के नाम पर
हड्डियों का पिंजर,और फटे हाल
कंपकंपाते हाथ में कटोरा
रुंधा गला और फटा त्रिपाल
अमीरों का महल भी देखा
और भ्रस्टाचार का जाल
वाह रे 'खुदा 'क्या बनाया तूने
बेबस की क़िस्मत और उसका हाल
------कमला सिंह 'ज़ीनत'
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