-एक ख्य़ाल प्यारा सा --
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रोज़ आते हो ख़यालों में
मचलते अरमां के साथ,
उठा कर मुझे सपनों में
चल देते हो थाम कर हाथ,
आँखें मीचे चलती जाती हूँ
मान कर तेरी हर बात।
कितना हसीन होता है
तुम्हारे रूह का साथ.…
जी लेती हूँ हर वो लम्हां
ज़िंदगी का लेकर हाथ में हाथ
----कमला सिंह 'ज़ीनत'
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