Monday, 6 January 2014

अक्सर गुज़रती हूँ यादों कि गलियों से मैं उसकी
यादों कि खुश्बू उसकी अब भी मेरा पीछा करती हैं
----------कमला सिंह 'ज़ीनत'

बेहतर है बंद कर दूँ अतीत के किताबों के पन्नों को उससे
जब भी आता है वो ज़ालिम मेरी नींदें भी ले जाता है साथ
-----------------------कमला सिंह 'ज़ीनत'

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