चार पंक्तियाँ
नुक्कड़,चौक,चौराहों पर सब,लकडी़ खू़ब सजाए है
जाडे़ के मौसम में मिलकर , ऐसे आग जलाए है
चारों ओर से आग को घेरे , बैठें तो यूँ लगता है
पंडित आग की कसमें खाए ,मुल्ला शपथ उठाए है
जाडे़ के मौसम में मिलकर , ऐसे आग जलाए है
चारों ओर से आग को घेरे , बैठें तो यूँ लगता है
पंडित आग की कसमें खाए ,मुल्ला शपथ उठाए है
कमला सिंह 'ज़ीनत'
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