हर एक ख़्वाब को आँखों में मार बैठे हैं
ख़्याल- ए- यार का चश्मा उतार बैठे हैं
ख़्याल- ए- यार का चश्मा उतार बैठे हैं
कभी लगाया था सीने में इश्क़ का पौधा
हम अपने हाथों से उसको उजाड़ बैठे हैं
हम अपने हाथों से उसको उजाड़ बैठे हैं
_____कमला सिंह 'ज़ीनत'
बहुत सुन्दर ।
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