Tuesday, 30 April 2013

तुम रोज़ आते हो दिल के आइने में,
तुम्हारे आने से महक उठता है तसब्बुर मेरा 
पर कुछ कह्ते नही ...


यूँ ही धीरे से आना, मुझे छुकर चले जाना,
बड़ा ही सुकून देता है दिल को, 
नींद से बोझिल पलके रोज इंतजार करती है 
तेरे आने का ...

तुम्हारी बाहों में ही पलके बंद होती है मेरी,
वरना खुली आंखो से देखती है 
रास्ता तेरा ....

तुम्हे भी पता है नींद तुम बिन आती नहीं,
फिर भी तड़पाया करते हो,
क्या तुम्हे मेरी याद नही आती या तुम,
तड़पना नहीं चाहते हो ...

काश ये गुण मुझ मे भी होता,
रह पाती मै भी तुम बिन,
पर लगता है कि तुम इस दुनिया से नही,
किसी और दुनिया से आये हो....
.........''कमला सिंह''..........

No comments:

Post a Comment