ज़िन्दगी की हसीन गलियों में,
किस्सा तमाम हो गया ।
कुछ खो गया, कुछ लूट गया,
कुछ खो गया, कुछ लूट गया,
कारवाँ बर्बाद हो गया ।
कुछ तुम चले थे साथ में,
वफाओ की मायूशियाँ,
कुछ तुम चले थे साथ में,
कुछ हम चले थे ख्वाब में,
राहे अधुरी रह गयी,
राहे अधुरी रह गयी,
मंजिल अधूरा रह गया ।
वफाओ की मायूशियाँ,
तल्ख नज़रों की सरगोशियाँ
अनसुलझी पहेली बन गयी ।
ज़िन्दगी की हसीन गलियों में,
अनसुलझी पहेली बन गयी ।
ज़िन्दगी की हसीन गलियों में,
किस्सा तमाम हो गया ।
.......''कमला सिंह''........
No comments:
Post a Comment