Tuesday, 30 April 2013

राज़ हो राज़ ही रहोगे,
तुम्हे मैंने करीब से जाना है..
तुम क्या हो ?
ये किसी ने ना पह्चाना है..
मैंने सिर्फ तुम्हे और, 
सिर्फ तुम्हे प्यार किया ..
ये मेरी तमन्ना थी,
हरेक सांसो की आवाज़ों को ..
अपने सुर मे ढाला है,
तुम ढल पाये या नही .. 
ये मैंने नही जाना है,
पर तुम्हे पास आने की .. 
चाहत में मैंने सब, 
कुछ लुटा डाला है ..
.......''कमला सिंह''......

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