क्यों चले जाते है नजरे झुका के वो.
आते क्यों नहीं सामने मुस्कुरा के वो.
चाहत दिल में कितनी, वो जानते नहीं
करती हूँ उन से प्यार वो मानते नहीं
चुप के से चले आते हैं ख्यालों मे वो
आते क्यों नहीं सामने मुस्कुराके वो.
देखा है मैंने उनको “मेरानाम“ लिखते हुए
कतरा के चल देते हैं जैसे हम कुछ नही है उंनके
जाने क्यूँ शरमा के चेहरा छुपा लेते है वो
आते नही क्यूँ सामने कभी मुस्कुरा के वो.
मै जानती हूँ इस तरह से जताते है मुझ से प्यार
शरमाते है वो शायद, इसलिये नही करते इज़हार
कुछ ज्यादा ही शर्मिले है,
एक झलक दिखला कर छुप जाते है वो
जाने क्यूँ नही आते सामने कभी मुस्कुरा के वो..
....''कमला सिंह''....
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